IMF-World Bank की बैठक अगले हफ्ते, भारत के लिए क्या है खास

IMF-World Bank की बैठक अगले हफ्ते, भारत के लिए क्या है खास

IMF-World Bank की बैठक अगले हफ्ते

IMF-World Bank की बैठक अगले हफ्ते, भारत के लिए क्या है खास

नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस युद्ध से वैश्विक स्तर पर खाद्य संकट पैदा होने की संभावित समस्या से निपटने के लिए भारत दुनियाभर को कई तरह के सुझाव देने वाला है। ये सुझाव अगले सप्ताह विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की तरफ से विभिन्न देशों की बुलाई गई बैठक में दिए जाएंगे। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद इन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की यह पहली बैठक है जिसमें कोरोना काल के बाद ग्लोबल रिकवरी बीच यूक्रेन-रूस युद्ध के असर की व्यापक समीक्षा की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन के इसमें हिस्सा लेने की संभावना है। बैठक फिजिकल व वर्चुअल दोनों माध्यमों में होनी है।

रूस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और यूक्रेन में गेहूं व कई तरह के दूसरे खाद्यान्नों के उत्पादन पर असर के चलते निकट भविष्य में कुछ खाद्यान्नों की कमी की आशंका जताई जा रही है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच हुई वर्चुअल बैठक में भी इस आशंका से जुड़े विषय पर बातचीत हुई थी। भारत चाहता है कि इस आशंका को देखते हुए खाद्यान्नों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की तरफ से लागू कई तरह के प्रतिबंधों में ढिलाई दी जानी चाहिए। हाल के महीनों में भारत से गेहूं व दूसरे खाद्यान्नों का निर्यात बढ़ा है।

डब्ल्यूटीओ की तरफ से चुनिंदा प्रतिबंधों में ढील से इस निर्यात में बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। विश्व बैंक और आइएमएफ का मंच बड़ा अवसर होगा कि भारत इन मुद्दों को सामने लाए। इसके अलावा भारत यह भी चाहता है कि क्रिप्टोकरेंसी पर नियमन को लेकर वैश्विक समुदाय की राय एक हो। मोदी पूर्व में कुछ अंतरराष्ट्रीय मंचों से इसका सुझाव दे चुके हैं।

जानकारों का कहना है कि पहले इस बैठक में फाइनेंशियल टेक्नोलाजी कंपनियों व केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी पर प्रमुखता से विचार होना था। लेकिन अब यूक्रेन-रूस युद्ध की स्थिति ने प्राथमिकताओं को बदल दिया है। माना जा रहा है कि कोरोना महामारी से उबर रही ग्लोबल इकोनमी को इससे इस युद्ध के चलते बड़ी चोट लग सकती है। कुछ दिन पहले आइएमएफ ने इस युद्ध के भावी असर की गंभीरता के बारे में बताया था। संस्था का कहना था कि इससे दुनियाभर में महंगाई की स्थिति और बिगड़ेगी। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरें बढ़ाई जाएंगी और छोटे देशों में पूंजी प्रवाह काफी प्रभावित होगा।